
विद्या विकास समिति: परिचय
विद्या विकास समिति, झारखंड सोसाइटी एक गैर-लाभकारी, गैर-स्वामित्व वाली शैक्षिक संस्था है जो अपने प्रगतिशील दृष्टिकोण, मूल्यपरक शिक्षा एवं उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता के लिए व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। विविधता मे एकता हमारे दर्शन, शैक्षिक नेतृत्व और विद्वतापूर्ण उपलब्धि हमारे लक्ष्य हैं। परंपरा में मजबूत हम राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के बीच नेटवर्किंग के एक मैट्रिक्स के रूप में विकसित हुए हैं। शैक्षिक प्रशिक्षण का आधार बच्चे की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ होनी चाहिए। आजादी के बहुत वर्षों बाद भी भारत में प्रचलित शिक्षा प्रणाली की जड़ें पश्चिमी जीवन शैली में हैं, लेकिन हिंदू दर्शन के अनुसार, पंचकोशिय विकास के बिना बच्चे के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है।
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हमारा उदेश्य
हमारा लक्ष्य इस प्रकार की राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली का विकास करना है जिसके द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठ एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत तथा शारीरिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से पूर्ण विकसित युवा पीढ़ी का निर्माण हो, जो जीवन की वर्तमान चुनौतियों का सामना सफलतापूर्वक कर सके और जिसका जीवन नगरों, ग्रामों, वनों, गिरिकन्दराओं एवं चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में निवास करने वाले वंचित और अभावग्रस्त अपने बांधवों को सामाजिक कुरीतियों एवं अन्याय से मुक्त कराकर राष्ट्रजीवन को सुसंस्कृत, समरस तथा सुसम्पन्न बनाते हुए 'वसुधैवकुटुम्बकम्' के भाव से प्रेरित होकर विश्वकल्याण के लिये समर्पित हो।
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विद्या भारती: परिचय
विद्या भारती 1952 से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रही है और युवा पीढ़ी को भारतीय मूल्यों और संस्कृति के अनुसार शिक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारतीय मूल्यों और संस्कृति के अनुसार युवा पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए शिक्षा को एक कला के रूप में मानने वाले कुछ प्रतिबद्ध और देशभक्त लोगों ने 1952 में गोरखपुर, यूपी में पहला विद्यालय शुरू किया। उन्होंने इस विद्यालय का नाम सरस्वती शिशु मंदिर रखा। उनके जोश, समर्पण और कड़ी मेहनत से विद्यालय अन्य जगहों पर भी स्थापित होने लगे। उत्तर प्रदेश में ऐसे स्कूलों की संख्या तेजी से बढ़ी। कालांतर में विद्यालय पूरे भारतवर्ष मे विकिसित हुए जिसका विराट स्वरूप आज देखा जा सकता है।
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